निरंतर 2 महीनों से सभी ऐतिहासिक बौद्ध स्थलों की यात्रा करते हुए भगवान बुद्ध का पावन श्रावक भिक्षु संघ का 28 जनवरी को लगभग शाम 7 बजे भगवान बुद्ध की प्रिय नगरी कौशांबी आगमन हुआ और इतने महान संघ का प्रथम बार कौशांबी में दर्शन पाकर कौशांबी का कण कण धन्य हो गया!
निरंतर कई दिनों से कड़ी मेहनत के पश्चात प्रयागराज और कौशांबी के उपासक/उपासिकाओं ने इस कार्यक्रम को भव्य ढंग से नियोजित किया और पहली बार होते हुए भी कुशल ढंग से आरंभ से अंत तक इस कार्यक्रम को संपन्न किया! इसका वर्णन स्वयं पावन वंदनीय संघ ने किया!
29 जनवरी को प्रातः कड़कती ठंड में लगभग 500 से अधिक उपासक उपासिका इलाहाबाद, कौशांबी, रायबरेली, प्रतापगढ़, कुंडा, भदोही आदि क्षेत्रों से 7 बजे से उपस्थित हो गए और पावन संघ के साथ लगभग 2 किलोमीटर की पद यात्रा करते हुए ऐतिहासिक बौद्ध स्थली घोषित आराम विहार पहुंचे! घोषिताराम में सांगायन के पश्चात अशोक स्तंभ पर पूजा वंदना और फिर भोजन के लिए संघ ने प्रस्थान किया! भोजन उपरांत कुछ विश्राम किया और फिर बुद्धकालीन राजा उदयन के किले पर लगभग 500 से अधिक उपासक उपासिकाओं के बीच संघ के मुख से कोसंबिय सुत्त का सांगायन हुआ! सांगायन के पश्चात उस सम्पूर्ण सुत्त का अंग्रेजी में अनुवाद और साथ ही कौशांबी एवं कौशांबी में बह रही यमुना नदी से जुड़ी भगवान बुद्ध एवं अर्हंत भिक्षुओं के कई प्रसंगों का भंते जी ने बहुत सुंदर ढंग से वर्णन किया और उसके पश्चात भंते जी के द्वारा दी गई देशना का हिंदी अनुवाद मेरे द्वारा किया गया! अंत में भंते जी के द्वारा कौशांबी के ऐतिहासिक अवशेषों को संरक्षित रखने के लिए सुझाव दिए गए, कौशांबी के आयोजक समस्त उपासक उपासिकाओं को मंगलकामनाएं दी गई एवं कौशांबी की टीम की खूब प्रशंसा की गई!
तत्पश्चात सिस्टर वांग्मो डिक्सी जी ने जानकारी दी कि इस धम्म यात्रा एवं सांगायन का मुख्य उद्देश्य भारत में भगवान बुद्ध के धम्म को शुद्ध रूप से पुनर्जीवित करना और ऐतिहासिक बौद्ध स्थलों का उत्थान करना है जो निश्चित रूप से सार्थक सिद्ध होता हुआ दिखाई दे रहा है!
शाम 5:30 बजे राजा उदयन किले से प्रस्थान कर कौशांबी में स्थित श्रीलंका बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्री पहुंचे जहां LBDFI एवं ITCC द्वारा स्थापित चैत्य की संघ के द्वारा पूजा वंदना की गई और अंत में भारतीय चाय के साथ संघ को विश्राम हेतु समय दिया गया!
आज 30 जनवरी को प्रातः नाश्ता के पश्चात पुष्प देकर उन्हें विदाई दी गई!
कौशांबी के लिए वास्तव में यह ऐतिहासिक, अद्भुत एवं दुर्लभ क्षण थे! संघ का दर्शन लाभ देने और कौशांबी की धरा को धन्य करने के लिए हम LBDFI एवं ITCC, पावन संघ एवं सिस्टर वांग्मो डिक्सी जी का अनंत साधुवाद करते हैं!
इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ बौद्ध संघ, कौशाम्बी; कौशाम्बी बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्री, कौशांबी; बोधिपक्खिय धम्म फाउंडेशन, समन्वय सेवा संस्थान एवं सहयोगी समस्त उपासक उपासिकाओं का अनंत साधुवाद करते हैं एवं उनके लिए विशेष मंगलमैत्री करते हैं!
Bodhipakkhiya Dhamma Foundation