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त्रिपिटक किसे कहते हैं : त्रिपिटक (पाली: திபிடக்கு; शाब्दिक रूप से: तीन बक्से) बौद्ध धर्म की मुख्य पुस्तक है, जिसे सभी बौद्ध संप्रदाय (महायान, थेरवाद, बज्रयान, मूलसर्वास्तिवाद, आदि) मानते हैं। यह सबसे पुराना बौद्ध ग्रंथ है जिसमें भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ शामिल हैं।[1] यह ग्रंथ पाली में लिखा गया है और इसका विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इस पुस्तक में भगवान बुद्ध द्वारा बुद्धत्व प्राप्ति से लेकर महापरिनिर्वाण तक दिये गये प्रवचनों का संग्रह है । त्रिपिटक की रचना या निर्माण काल ​​पहली शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक है। और सभी त्रिपिटकों को सिहल देश यानि श्रीलंका में उनकी भाषा में लिखा गया था।

त्रिपिटक को तीन भागों में विभाजित किया गया है, विनयपिटक, सुत्तपिटक और अभिधम्म पिटक। इसका विस्तार इस प्रकार है त्रिपिटक में १७ ग्रंथो का समावेश है।

  • (१) विनयपिटक
    • सुत्तविभंग (पाराजिक, पाचित्तिय)
    • खन्धक (महावग्ग, चुल्लवग्ग)
    • परिवार
    • पातिमोक्ख
  • (२) सुत्तपिटक
    • दीघनिकाय
    • मज्झिमनिकाय
    • संयुत्तनिकाय
    • अंगुत्तरनिकाय
    • खुद्दकनिकाय
      • खुद्दक पाठ
      • धम्मपद
      • उदान
      • इतिवुत्तक
      • सुत्तनिपात
      • विमानवत्थु
      • पेतवत्थु
      • थेरगाथा
      • थेरीगाथा
      • जातक
      • निद्देस
      • पटिसंभिदामग्ग
      • अपदान
      • बुद्धवंस
      • चरियापिटक
  • (३) अभिधम्मपिटक
    • धम्मसंगणि
    • विभंग
    • धातुकथा
    • पुग्गलपंञति
    • कथावत्थु
    • यमक
    • पट्ठान।
    • नोट- त्रिपिटक बौद्ध ग्रंथ बौद्ध कालीन भाषा (पाली भाषा) से अनुवादित है जिसके कुछ शब्द संस्कृत भाषा से मेल खाते है, अतः अनुवाद का अर्थ विभिन्न भी हो सकता है

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