👉 भारतीय समाज में अनुसूचित जाति से संबंधित लोगों की आबादी लगभग 25 करोड़ है लेकिन जब तक इस संख्या को बौद्ध धर्म के रूप में परिवर्तित नहीं किया जाता, तब तक अनुसूचित जाति के लोगों को भारतीय समाज में धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं हो सकती यह निश्चित हैं।
👉 किसी भी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को बौद्ध धर्म के रूप में परिवर्तित होने के लिए न तो धम्म दीक्षित होने कि आवश्यकता है और न ही दीक्षा प्रमाणपत्र कि जरुरत हैं। उन्हें सिर्फ अपने बच्चों के स्कूल नामांकन से लेकर निजी, सरकारी दस्तावेज हो या भारतीय जनगणना जहाँ कही भी धर्म लिखने की बात होगी तो हिन्दू धर्म के बजाएं ‘बौद्ध धर्म‘ लिखना हैं और जाति लिखने की आवश्यकता होगी तो चमार, महार, मांग, पासी, मादिगा, आदि द्रविड, माला, दूसाध, धोबी, परिया, भंगी, कोली, आदि कर्नाटका, राजबंशी, बागडी, मुशहर, नमोशूद्रा आदि लिखना हैं।
👉 धर्म – बौद्ध और अनुसूचित जाति लिखते ही हमें संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 लागू हो जाता है और हमारा धर्म बदल कानूनी मानकर के हमारे सभी संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हो जाते हैं। तो आइये ! हम सभी अनुसूचित जाति के लोग संकल्प लेते हैं कि आज से हम अपने जीवन में कहीं भी ‘हिंदू‘ शब्द नहीं लिखेंगे।
अच्युत भोईटे (बी.कॉम.एमबीए)
संस्थापक तथा राष्ट्रीय संयोजक,
दि बुध्दिस्ट शेड्यूल कास्ट मिशन ऑफ इंडिया
मो 9870580728.
The Buddhist Schedule Cast Mission of india | This time, Dharma Buddhist will write, ten crore Chamar!