Sat. Oct 19th, 2024
विनय के अनुसार, एक थेरी अथवा भिक्षुणी जीवन के 10 वर्ष परिपूर्ण कर चुकी भिक्षुणी ही प्रव्रज्या प्रदान कर सकती हैं! यूं तो, देखा जाए तो आज भारत में बहुत सी भिक्षुणियां थेरी अथवा महाथेरी हैं लेकिन मैं अपने सभी प्रव्रज्या के कार्यक्रमों में पूजनीय भिक्षुणी शिलाचारा महाथेरी जी को ही आमंत्रित करती हूं! क्योंकि पूजनीय शिलाचारा अय्या जी आज आधुनिक युग में वर्तमान की सर्वश्रेष्ठ प्रथम भिक्षुणी हैं! यूं तो, पूजनीय भिक्षुणी विशाखा महाथेरी जी आधुनिक युग की पहली महिला थी जिन्होंने अनेकों संघर्ष के बाद 1998 में उपसंपदा प्राप्त की और आधुनिक भारत की पहली भिक्षुणी बनी। उनका संघर्ष माता महाप्रजापति जैसा ही था! उन्हें आधुनिक युग की माता महाप्रजापति कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति न होगी! परंतु लगभग 2 वर्ष पहले नागपुर की भूमि में प्रबल भिक्षुणी संघ बनाने के पश्चात 7 फरवरी 2022 को उन्होंने अंतिम श्वास ली! उनके मार्गदर्शन में उनसे प्रेरणा लेते हुए सभी भिक्षुणियां अपने अपने ढंग से धम्म कार्य कर रही हैं! ऐसी माता महाप्रजापति तुल्य पूज्य विशाखा अय्या जी के साथ ही उपसंपादित हुई दूसरी महिला पूज्य भिक्षुणी शिलाचारा जी थी जिनका सान्निध्य और आशीर्वाद हमें अभी तक प्राप्त हो रहा है! और यह तीसरा अनुमोदन पूज्य भिक्षुणी शिलाचारा जी और उनकी शिष्य एवं मेरी कल्याणमित्रा पूज्य भिक्षुणी विनयशीला जी, पूज्य भिक्षुणी करुणादीपा जी, पूज्य भिक्षुणी रोहिणी जी व समस्त भिक्षुणी संघ के लिए है जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से मुझे सहयोग एवं समर्थन देते रहे हैं!
पूज्य भिक्षुणी शिलाचारा जी की आयु कुछ लगभग 80 वर्ष के करीब है और उन्हें चलने फिरने में बहुत तकलीफ होती है! लेकिन फिर भी जैसे ही मैंने उनके समक्ष अपना प्रस्ताव रखा और उन्हें डरते हुए पूछा कि क्या आपके लिए नागपुर से सारनाथ की लगभग 24 घंटे की यात्रा ट्रेन से संभव होगा? तो उन्होंने सीधा कहा कि हम आयेंगे और जरूर आयेंगे। जब आप इतनी मेहनत कर रहे हो तो हम क्या ये इतनी सी दूरी भी तय नहीं कर सकते!
मेरा मन प्रफुल्लित हो उठा और जैसे अब एक बल मिल गया हो ऐसा प्रतीत हुआ! हालांकि, मैंने उनके समक्ष प्लेन की टिकट करवाने का भी प्रस्ताव रखा लेकिन उन्होंने कहा कि एक तो हमको एसी सूट नहीं होता और दूसरा इतना खर्चा क्यों करना! तुम वही राशि कार्यक्रम में लगाओ! उन्हीं के अनुसार, अय्या जी की ट्रेन की टिकट करवाई और अय्या जी कार्यक्रम आरंभ होने से एक दिन पूर्व सारनाथ में पहुंचे। इतने लंबे सफर के बाद भी प्रव्रज्या के पूरे कार्यक्रम में सम्मिलित हो सभी को प्रव्रजित कर, देशना से अनुकंपित किया! और 2 दिन हमारे साथ सारनाथ में प्रवास कर 2 गांव की चारिका में भी सम्मिलित हुए!
उनके साथ उनकी शिष्या पूज्य भिक्षुणी विनयशीला जी, जो हमेशा उनकी सेवा में रत रहती हैं और पूज्य भिक्षुणी करुणादीपा जी उन्होंने भी खूब सहयोग किया और मुझे सुझावों एवं एक बड़ी बहन की भांति अपने प्रेम एवं सहयोग से अनुकंपित किया! इसके अलावा, पूज्य भिक्षुणी रोहिणी जी ने 15 दिन मेरे साथ रहकर श्रामनेरियों को ध्यान सिखाना, पंक्ति बद्ध करना, मेरी व्यस्तता में सभी श्रामनेरियों पर ध्यान देना आदि कार्यों में बहुत मदद की! मैं उनका भी बहुत साधुवाद एवं अभिनंदन करती हूं!
मैं समस्त भिक्षुणी संघ का अनुमोदन करती हूं जिन्होंने मुझे प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से इस कार्यक्रम को संपन्न करने में मदद की और कार्यक्रम समाप्ति के पश्चात भी बहुत सी भिक्षुणियों ने सराहना की और मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा दी!
साधु साधु साधु!!!

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