राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान की भावना के अनुसार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का दायित्व है कि जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए काम करे. ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है. नारी शक्ति वंदन अधिनियम से नए युग की शुरुआत की गई है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता को पारित करके आधुनिक सोच अपनाने का प्रभावशाली परिचय दिया गया है. पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने समाज के कमजोर तबके के विकास के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं. पक्का घर से खाद्य सुरक्षा और चिकित्सा सुविधाएं मिलने का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे अनेक प्रयास हमारे संवैधानिक आदर्शों को आगे बढ़ाते हैं. उच्चतम न्यायालय के प्रयासों से न्यायपालिका अनेक प्रयास कर रही है. मूलभूत अधिकारों का दायरा समय के साथ बढ़ता गया है. संविधान में प्रत्येक नागरिक के मूल कर्तव्य का स्पष्ट उल्लेख किया गया है. हमारा संविधान जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है.
2047 तक विकसित भारत के निर्माण में योगदान दें – उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में आर्थिक प्रगति से लेकर वैश्विक मान्यताओं तक, आजादी के बाद की प्रगति यात्रा का जिक्र किया और संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर को भी याद किया. उन्होंने ‘हम भारत के लोग’ से संविधान की शुरुआत से लेकर संविधान की प्रस्तावना का जिक्र किया और कहा कि समय आ गया है कि हम मूलभूत कर्तव्य का पालन करते हुए राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत पर चलें और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में योगदान दें. समतामूलक समाज के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं. लोगों की आकांक्षा पूरी करने में अपना योगदान दें.
संविधान की ऐतिहासिक यात्रा पर दिखाई जा रही शॉर्ट फिल्म
संविधान सभा की ओर से संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 साल पूरे होने के मौके पर संविधान के निर्माण और इसकी अब तक की यात्रा पर आधारित शॉर्ट फिल्म दिखाई जा रही है. इस शॉर्ट फिल्म में स्वतंत्रता के समय वैश्विक धारणा से लेकर देश के शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने तक की यात्रा को दर्शाया गया है.