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असिन विराथु

Myanmar Army: अपने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर म्यांमार जुंटा ने एक बड़ा फैसला लिया है. म्यांमार जुंटा ने बुधवार को 7,012 कैदियों को जेल से रिहा करने का फैसला किया है. इसके साथ ही म्यांमार जुंटा ने अपने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कट्टरपंथी बौद्ध भिक्षु अशीन विराथु को सम्मानित किया. उसे कभी आतंक का चेहरा बताया गया था.

सम्मानित किए गए भिक्षु के बारे में बताया गया कि उन्होंने कभी मुसलमानों के खिलाफ धार्मिक घृणा को बढ़ावा देने का काम किया था, जिसके लिए उन्हें “बौद्ध आतंक का चेहरा” करार दिया गया था. उन्हें बर्मा के बिन लादेन के नाम से भी जाना जाता है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अशीन विराथु को म्यांमार संघ की भलाई और उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए “थिरी प्यांची” की उपाधि से सम्मानित किया गया है.

देश के सैन्य शासक जनरल मिन आंग हलिंग द्वारा पुरस्कार से सम्मानित, विराथु उन सैकड़ों लोगों में शामिल थे, जिन्हें बुधवार को ब्रिटेन से स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने पर मानद उपाधि और अन्य प्रकार की मान्यता मिली.

अशीन विराथु को कैसे मिली पहचान 

सेना समर्थक होने का मिला फायदा 

1968 में जन्मे अशीन विराथु ने 14 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया और भिक्षु का जीवन अपना लिया. विराथु को लोगों ने तभी जाना जब वे 2001 में राष्ट्रवादी और मुस्लिम विरोधी गुट ‘969’ के साथ जुड़े. म्यांमार में इस संगठन को कट्टरपंथी माना जाता है, लेकिन इसके समर्थक इन आरोपों से इनकार करते हैं. साल 2003 में उन्हें 25 साल जेल की सजा सुनाई गई, लेकिन साल 2010 में उन्हें अन्य राजनीतिक बंदियों के साथ रिहा कर दिया गया.

इसके बाद अशीन विराथु को म्यांमार की नागरिक सरकार ने राजद्रोह के आरोप में जेल में डाल दिया था. हालांकि जब म्यांमार में तख्तापलट हुआ तो 2021 में अशीन विराथु रिहा हो गए. वो सेना के समर्थक भी हैं.

‘969’ है क्या? 

दरअसल, इन तीनों संख्याओं को बौद्ध शिक्षा का सार समझा जाता है. 9 मतलब बौद्ध के खास 9 गुण, 6 मतलब बौद्ध के बताए छह कर्म जैसे पाप से दूरी, कल्याणकारी कार्य, सत्य, दया आदि और आखिरी नंबर 9 का मतलब है बौद्ध द्वारा स्थापित संघ के नौ चरित्र.

इन कैदियों को नहीं मिलेगी राहत 

स्वतंत्रता दिवस पर म्यांमार जुंटा का रिहाई का यह फैसला सभी कैदियों पर लागू नहीं होता. ऐसे कैदी जो मर्डर, रेप, विस्फोटक पदार्थ रखने, भ्रष्टाचार, ड्रग्स, हथियारों और अन्य गैर-क़ानूनी वजहों से जेल की सज़ा काट रहे हैं, उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा. हालांकि ऐसे कैदी जो राजनीतिक कारणों से जेल में हैं, उन्हें रिहा किया जाएगा या नहीं इस बात की जानकारी नहीं दी गई है.

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