Sat. Oct 19th, 2024

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट चेतन बैरवा ने वर्ण व्यवस्था के निर्माता मनु की मूर्ति को हाई कोर्ट जयपुर से हटाए जाने बाबत राजस्थान हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल , राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव , राजस्थान के पुलिस महानिदेश तथा भारत सरकार के ग्रह सचिव को नोटिस भेजकर मांग की है कि उनके नोटिस की प्राप्ति के 15 दिन के अंदर अंदर , मनु की मूर्ति को हाई कोर्ट जयपुर से हटाया जाए वरना इस बाबत वो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर देंगे ।

एडवोकेट चेतन बैरवा ने यह नोटिस गंगापुर सिटी निवासी रामजीलाल बैरवा , जगदीश प्रसाद गुर्जर तथा जितेंद्र कुमार मीना जैसे सामाजिक सोच रखने वाले लोगो की तरफ से भेजा है । एडवोकेट बैरवा ने अपने इस नोटिस में लिखा है कि चूंकि मनु की ” मनु स्मृति ” एक संविधान विरोधी दस्तावेज है जिसके कारण मनु स्वताः ही संविधान विरोधी बन जाते है , ऐसे में हाई कोर्ट जयपुर में मनु की मूर्ति के लगे होने का कोई ओचित्य नही है। एडवोकेट बैरवा ने मनु स्मृति को न केवल सीधा सीधा देश की 75 % जनता ( 16 % एससी , 7 % एसटी , 52 % ओबीसी ) का विरोधी बताया है बल्कि उसे क्षत्रिय , वैश्य और महिला विरोधी भी बताया है। मनु स्मृति के चैप्टर 2 के श्लोक 138 का हवाला देते हुए एडवोकेट बैरवा ने अपने नोटिस में लिखा है कि यह श्लोक सीधा सीधा क्षत्रिय विरोधी है क्योंकि यह श्लोक कहता है कि सो साल के क्षत्रिय को भी दस साल के ब्राह्मण के बच्चे को अपने बाप के बराबर मानना चाहिए , क्यों मानना चाहिए ? इसका मनु के पास आज दिन तक कोई जवाब नही है ।

मनु स्मृति के चैप्टर 3 का श्लोक 218 कहता है कि महिलाएं काबिल से काबिल इंसान को भी गलत रास्ते पर ले जाने में सक्षम होती हैं , यहां आकर मनु सीधा सीधा महिला विरोधी साबित हो जाता है क्योंकि वह उनके चरित्र पर अंगुली उठता है। मनु स्मृति के चैप्टर 8 के श्लोक 417 में मनु कहता है कि वैश्यों को राज काज के नजदीक नही आने देना चाहिए वरना समाज में आराजकता फेलने का डर रहता है। चैप्टर 8 के श्लोक 361 में मनु कहता है कि चारण भाट तो खुद ही अपनी आजीविका के मध्य नजर जान बूझकर अपनी महिलाओं को सजा धजा कर पर पुरुषो के पास भेज देते हैं । चैप्टर 9 के श्लोक 291 में मनु कहता है कि सुनार पापियों का शिरोमणि होता है लिहाजा उसके साथ शक्ति से पेश आया जाना चाहिए । चैप्टर 10 के श्लोक 122 में मनु कहता है कि शुद्रो को ( यानि कि आज के एससी एसटी ओबीसी के लोगो को ) झूंठा खाना दिया जाना चाहिए और फटे पुराने कपड़े ही पहनने को दिए जाने चाहिए । चैप्टर 10 के श्लोक 126 में मनु लिखता है कि शुद्रो को ( एससी एसटी ओबीसी के लोगो को ) संपत्ति रखने का कोई अधिकार नहीं है ।

एडवोकेट बैरवा ने मनुवाद को देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा बताया है। साथ ही कहा है कि मनुवाद के कारण ही देश में धर्म परिवर्तन को बढ़ावा मिलता है । मनुवाद के कारण ही एससी एसटी ओबीसी के लोग पूर्व में राष्ट्र की मुख्य धारा से अलग हुए जिन्हे मुख्य धारा में लाने के लिए बाबा साहब अंबेडकर को संविधान में आरक्षण का प्रावधान लाना पड़ा वरना आरक्षण का प्रावधान करने की और कोई वजह नहीं थी। नोटिस में एडवोकेट बैरवा ने मनुवाद को ही देश के विभाजन का जिम्मेदार ठहराया है जिसके कारण सन 1947 में पाकिस्तान राष्ट्र बना । एडवोकेट बैरवा ने अपने नोटिस में चेतावनी दी है कि जातिवाद और मनुवाद यूं ही अगर चलता रहा तो यह देश फिर से एक बार विभाजित हो सकता है ।

✍🏻 चेतन बैरवा  ( एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट ) मोबाइल नंबर : ८५११३१६३४१ 

रजिस्ट्रार को कानूनी नोटिस की कॉपी 👇🏻

Lawyer’s legal notice to Registrar regarding removal of Manu Ki Murthy from High Court Jaipur

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