डॉ। बाबासाहेब अम्बेडकर की धम्म दीक्षा के आज 67 वर्ष पूरे हो रहे हैं, कल (24 तारीख को) धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के अवसर पर हजारों अनुयायी दादर की चैत्यभूमि पर अम्बेडकर का स्वागत करने के लिए उमड़ पड़े। नगर पालिका और पुलिस प्रशासन ने उनकी सुविधा के लिए अच्छे इंतजाम किए थे
अम्बेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को लाखों अनुयायियों के साथ नागपुर में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। उस दिन को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाया जाता है। हालांकि मुख्य कार्यक्रम नागपुर के दीक्षाभूमि में होता है, लेकिन अंबेडकरी अनुयायी मुंबई के चैत्यभूमि में बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं।
सुबह से एक लाख से अधिक नागरिकों ने बाबा साहब की स्मृतियों के दर्शन किये, यह जानकारी चैत्यभूमि के व्यवस्थापक प्रदीप कांबले ने दी. सुबह 9.15 बजे संस्था की अध्यक्ष दर्शनताई भीमराव अंबेडकर ने ध्वजारोहण किया।
हजारों अनुयायी चैत्यभूमि पर एकत्र हुए थे। चैत्यभूमि के पुस्तक विक्रेता अनिल खैरे ने कहा कि पुस्तक की काफी मांग है। उन्होंने कहा, भगवान बुद्ध और उनके धम्म, भारत के संविधान और बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा लिखित किताबें खूब बिकीं। एक विक्रेता सूरज शेलार ने कहा, गौतम बुद्ध और बाबासाहेब की तस्वीरें 100 प्रतिशत बिकीं।
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