Sat. Oct 19th, 2024
बुद्ध चतु परिसा यानि बुद्ध की चार परिषद (भिक्षु, भिक्षुणी, उपासक, उपासिका) बुद्ध शासन को चिर स्थाई बनाने हेतु बहुत ही आवश्यक है! बुद्ध शासन में भिक्षु भिक्षुणी का जितना महत्व है उतना ही महत्व उपासक उपासिका का बुद्ध शासन में है! बिना उपासक उपासिका के भिक्षु/भिक्षुणी जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती! भिक्षु/भिक्षुणी धम्म को जन जन तक पहुंचा सके उसके लिए उपासक/उपासिकाओं का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है! संघ की मूलभूत आवश्यकताओं (चीवर, भोजन, विहार, औषधि) की पूर्ति करना, संघ की सेवा करना एवं धम्म श्रवण कर पालन कर अपने गृहस्थ जीवन को सुखी बनाकर उपासक/उपासिका भगवान बुद्ध के काल से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं! ऐसे ही इस शिविर के दौरान वाराणसी जनपद के उपासक/उपासिकाओं का अतुलनीय सहयोग भिक्षुणी संघ के लिए हमें प्राप्त हुआ!
जैसा कि मैंने पहले भी कहा था कि यह शिविर हमारे लिए पूर्व के शिविर से अधिक चुनौतीपूर्ण था! क्योंकि इस शिविर में हमें लोकल क्षेत्र की जानकारी नहीं थी लेकिन फिर भी यह शिविर बहुत ही सरलतापूर्वक संपन्न हुआ और इसको इतनी सुगमता से पूरा करवाने का श्रेय वहां के सभी उपासक/उपासिकाओं को जाता है!
शिविर के बारे में सोचने के बाद से उपासिका शुभावती प्रबुद्ध जी का मुझे फोन आता है कि आपको जो भी मदद लगेगी हम जरूर मदद करेंगे! इसके पश्चात शिविर शुरू होने के लगभग डेढ़ महीना पहले लोकल उपासक/उपासिकाओं के साथ मेरी सारनाथ में पहली मीटिंग होती है जिसमें मैं बहुत ही शंका में थी कि वे मेरी बात को समझ पाएंगे या नहीं? भिक्षुणी संघ को समर्थन देंगे या नहीं? आदि इत्यादि! लेकिन पहली ही मीटिंग में लगभग 20 उपासक/उपासिका उपस्थित हुए और उनके समर्थन के शब्द सुनकर मुझे बहुत हिम्मत मिली कि अब निश्चित रूप से हम कर पायेंगे! भिक्षुणी संघ को समर्थन एवं सहयोग देना उनके लिए भी चुनौतीपूर्ण था! लेकिन जैसे ही कार्यक्रम नजदीक आया और सभी से फिर मुलाकात की गई तो पता चला कि सभी ने अपने अपने क्षेत्र में कार्यक्रम की तैयारी शुरू कर दी थी! सभी गांवों में चारिका हेतु मीटिंग का आयोजन करना, लोगों को इस कार्यक्रम के विषय में अवगत करवाना, महाबोधि विहार, सारनाथ के इंचार्ज पूज्य सुमित्तानंद भंते जी से निरंतर संपर्क साधकर उचित मदद करना इत्यादि! मुझे याद है कि शुभावती जी और अरुण कुमार प्रेमी जी, ये दोनों सदैव प्रत्येक कार्यक्रम में मुख्य भूमिका में रहने वाले हैं लेकिन ये दोनों उस दौरान डेंगू से पीड़ित थे और इनका स्वास्थ्य कार्यक्रम समाप्ति तक भी बहुत अच्छा नहीं था! लेकिन फिर भी स्वास्थ्य ठीक न होने पर भी पूरे कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाई और कार्यक्रम को सफल बनाया!
इसके अलावा, राम कुमार व्यास जी और उनकी पत्नी पुष्पा व्यास जी की ऊर्जा तो अतुलनीय है! वास्तव में, इनके जैसी ऊर्जा वाले यदि कुछ ओर उपासक/उपासिका हो जाएं तो निश्चित रूप से संघ को धम्म कार्य में कभी कोई बड़ा ना आए! इस धम्मिक दंपत्ति ने जिस प्रकार प्रत्येक गांव में तैयारी करवाई और लोगों को भोजन दान देने, धम्म श्रवण हेतु आमंत्रित करने, गांवों में चारिका हेतु व्यवस्था बनाना, लोगों को समझाने में जो प्रयास किया वह वास्तव में दर्शनीय था और अद्भुत था! इतना ही नहीं, इन्होंने मेरे स्वास्थ्य का ध्यान रखना, बिना कहे शिविर में हो रही छोटी छोटी अव्यवस्था को समझना और उसके लिए समाधान खोजना आदि विषयों पर भी पूरा ध्यान दिया! एक भी दिन इन्होंने छुट्टी नहीं ली बल्कि पूरे 15 दिन प्रत्येक कार्यक्रम में उपस्थित रहें और व्यवस्था बनाने में बहुत मदद की! पोस्ट लंबी न हो जाए इसलिए बहुत सी बातें लिख नहीं पा रही हूं लेकिन मन से इस दंपत्ति के लिए बार बार मैत्री प्रवाहित होती है! आपके इस पुण्य से आपका जीवन मंगलमय हो, सुखी हो, कल्याण हो! आप दोनों सदैव त्रिरत्नों से अनुकंपित रहें!
15 दिन की चारिका में सबसे पहला दिन राम धीरज जी ने अपने गांव के लिए रखा! सभी के मन में कुछ शंका कुशंका थी इसलिए सब चाह रहे थे कि एक दो गांव में शुरुवात हो जाए तो हमको कुछ आइडिया मिल जायेगा और उसी प्रकार हम भी अपने गांव में आयोजन कर पाएं! लेकिन राम धीरज जी ने पहले ही दिन अपने गांव में कार्यक्रम रखा और हम भी उस गांव में चारिका के लिए जाते समय यही सोचकर गए थे कि आज पहला दिन है तो कुछ न कुछ कमी रहेगी जैसा कि हमेशा होता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ! वहां का पहले दिन का कार्यक्रम ऐसा था जैसे न जाने कितने सालों से उस गांव के लोग ऐसा कार्यक्रम आयोजित कर रहे हों! और प्रसन्नता इतनी कि शब्द नहीं थे! इसके बाद भी मेरा स्वास्थ्य ठीक न होने पर अपने घर से देसी काढ़ा बनवाकर लाते और शाम को विहार में आकर दान करते ताकि मेरा स्वास्थ्य जल्दी ही ठीक हो जाए! राम धीरज जी का पूरा परिवार धम्ममय है और बहुत ही सुंदर मन वाले परिवार और गांव के लोग है! आप सदैव ही इसी प्रकार अच्छे कार्यों के लिए शुरुवात करते रहें और आपके पीछे कारवां जुड़ता रहेगा और सदैव दूसरों को प्रेरित करते रहें!
इसके साथ ही, इतनी ही मैत्री के पात्र है सूरज जी, सुनील जी और राधे श्याम गौतम जी जिनके कारण हमें शुरुवात व अंतिम के दिनों में सुव्यवस्थित भोजन समय से मिल पाया! सूरज जी पहली बार किसी भिक्षु अथवा भिक्षुणी से मिले और जब पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा सभी के समक्ष रखी गई तब सभी का ध्यान कार्यक्रम की रूपरेखा पर ही था जबकि सूरज जी का ध्यान था कि मैं कहां और कैसे भागीदार बन सकता हूं! उन्होंने पहली ही मीटिंग में 2 दिन के भोजन की जिम्मेदारी बहुत ही गर्व के साथ ली जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था! सूरज जी के साथ साथ सुनील जी और राधे श्याम जी की मेहनत भी लाजवाब थी! ये दोनों न केवल शुरुवात के 2 दिन के भोजन की बल्कि अंतिम 4 दिन के भोजन के लिए भी सुबह सुबह मंडी से ताजी सब्जियां, दूध, मिठाई, पनीर आदि सामान लेकर विहार पहुंचते और 11 बजे तक खाना बन जाए उसे भी सुनिश्चित करते! अंतिम दिन तक रोज आना और जरूरत के सामान की पूर्ति करना वास्तव में धैर्य का ही परिणाम है! बहुत ही सुलझे, सरल और सहज स्वभाव के धनी है आप तीनों! इसी प्रकार आप पर त्रिरत्न की अनुकंपा बनी रहे!
इस पूरे कार्यक्रम में जोश बनाकर रखने वाले खरगूपुर के सबसे दमदार और चुस्त उपासक मंगला प्रसाद जी के तो मुख से ही मुस्कान बिखरती है! उनके जोश से तो उन्होंने न जाने गांव के कितने लोगों में जोश जगाया! और ये जोश केवल इस कार्यक्रम के लिए नहीं था बल्कि सदैव इसी प्रकार का जोश उनके हृदय में बसता है जिसका परिणाम उनके गांव में स्पष्ट देखने को मिलता है! गांववासियों में बहुत ही प्रेम, एकता और भाईचारा देखने को मिलता है जो कि वास्तव में अद्भुत है! उनके साथ ही उनके मित्र छोटे लाल निराला जी, राजकुमार जी, एलआईसी के डी.ओ. सर भी उन्हीं की भांति बहुत ही जोश से भरे हैं! लेकिन ये सभी जोश में भी होश बनाकर रखते हैं और बहुत ही सुंदर एवं भव्य ढंग से अपने अपने गांव में कार्यक्रम आयोजित करवाते हैं! मुझे विश्वास है कि इन सभी के अथक प्रयास में इनके गांवों में जल्दी ही धम्म क्रांति आएगी! आप सभी इसी प्रकार से कार्यक्रमों को आयोजित करते रहें और निरंतर धम्म की तरंगें जन जन तक पहुंचाते रहें!
यह पोस्ट पहले ही बहुत लंबा हो चुका है और आगे भी सभी का नाम लिखना और सभी के गुणों की व्याख्या करना असंभव है क्योंकि यदि ऐसा किया जाए तो शायद पोस्ट करने से पूर्व ही सोशल मीडिया इसे रिजेक्ट कर देगा! लेकिन बहुत से उपासक उपासिका जैसे बृजेश भारती जी, विमर्शिका जी, गीता उजाला जी, काली प्रसाद जी, विजय कुमार जी, अशोक आनंद जी, राम जी मैनेजर, तारा जी, सावित्री जी इनके सहयोग एवं समर्पण को कहीं भी कम नहीं आंका जा सकता! बहुत ही सुंदर एवं सुव्यवस्थित कार्यक्रम आयोजित करवाने में और पीछे शांत रहकर कार्य करने में बहुत ही बड़ा सहयोग इन सभी का रहा! आप सभी पर त्रिरत्नों की असीम मैत्री एवं आशीर्वाद सदैव बना रहे! इसके बाद भी बहुत से ऐसे उपासक/उपासिका कार्यरत थे जिनके मुझे केवल नाम याद है और बहुतों के केवल चेहरे! और सभी लोग जिन्होंने एक टुकड़ा रोटी से लेकर पूरे कार्यक्रमों की व्यवस्था देखी हम सभी के प्रति कृतज्ञ हैं और सभी के लिए मन से बार बार करुणा और मैत्री प्रवाहित होती है! आप सभी को बहुत बहुत साधुवाद एवं असीम मंगलकामनाएं! आप इसी प्रकार सहयोग एवं समर्थन से धम्म चक्र को गतिमान रखने में संघ को सहयोग करते रहें! मुझे आशा ही नहीं विश्वास है कि आप सभी अपने सम्यक संकल्पों में अवश्य ही सफल होंगे!
साधु साधु साधु!!!

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