रिवालसर (मंडी)। पर्यटन एवं तीन धर्मों की पावन धरती रिवालसर में इन दिनों प्रदेश सहित अन्य राज्यों से बौद्ध भिक्षु पहुंच रहे हैं। वे पवित्र झील की परिक्रमा कर रहे हैं, वहीं गुरु पदम संभव के भी दर्शन कर रहे हैं। इनमें प्रदेश के कबायली जिलों किन्नौर, लाहौल-स्पीति सहित देश-विदेश से बौद्ध भिक्षु यहां पहुंचकर सुबह के समय से समय झील की परिक्रमा कर रहे हैं।कई भिक्षु झील की पूजा-अर्चना करते हुए समाधि में लीन हैं। हालांकि अभी गुरु पदम संभव का जन्म दिवस इस माह की दशमी को मनाया जाएगा। इस अवसर पर यहां पर प्रसिद्ध छेश्चू मेला भी होगा। इसमें प्रसिद्ध छम नृत्य और महामहिम गुरु पदम संभम के जन्म दिवस समारोह को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस मेले के बाद बौद्ध भिक्षु और अनुयायी अपने स्थानों को लौटना शुरू हो जाते हैं। इनकी दिनचर्या की बात की जाए तो ये सुबह से शाम तक झील परिक्रमा में व्यस्त रहते हैं। कई माला फेरते हुए ईश्वर का नाम जपते हुए अपनी धार्मिक एकता का परिचय देते हैं तो कई झील किनारों पर ही समाधि में लीन रहते हैं।
बौद्ध श्रद्धालु रिवालसर के अलावा सरकीधार में भी पहुंच रहे हैं। रिवालसर से खड़ी चढ़ाई करीब आठ किलोमीटर दूर सरकीधार में जाकर ये सात सरोवरों के भी दर्शन कर रहे हैं।
इस बार भूटान से गुरु दुजम रिपोंच्छे आएंगे रिवालसर निगमापा बौद्ध मंदिर के प्रधान कैलाश चंद और सचिव शमशेर सिंह नेगी ने बताया कि इस बार इस पावन अवसर पर भूटान से गुरु दुजम रिपोच्छे 15 से 20 फरवरी तक अपने प्रवचनों से बौद्ध भिुक्षुओं को निहाल करेंगे। चार दिवसीय राज्य स्तरीय मेले में बौद्ध भिक्षुओं के मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।