बुद्ध वचन (हिंदी में, संदर्भ सहित): भगवान बुद्ध के अनमोल विचार
1. “मन ही सब कुछ है; आप जो सोचते हैं, वही बन जाते हैं।”
– धम्मपद 1.
2. “क्रोध को प्रेम से, बुराई को अच्छाई से जीतें।”
– धम्मपद 5.
3. “स्वयं पर विजय सबसे बड़ी जीत है।”
– धम्मपद 103.
4. “जिसने अपने मन को जीत लिया है, वह कोई और युद्ध जीतने वाले से श्रेष्ठ है।”
– धम्मपद 104.
5. “प्रत्येक सुबह हम एक नया जन्म लेते हैं; आज का दिन हमारे जीवन को बदल सकता है।”
– सूत्रपिटक.
6. “वाणी पर नियंत्रण रखें। यह बुद्धिमत्ता का पहला कदम है।”
– सुत्तनिपात.
7. “ध्यान ही मुक्ति का मार्ग है।”
– धम्मपद 282.
8. “प्रीत और करुणा, ये धम्म के मूल हैं।”
– महापरिनिब्बान सुत्त.
9. “बिना कर्म किए फल नहीं मिलता।”
– अंगुत्तर निकाय.
10. “धर्म का अनुसरण करने वाला कभी नष्ट नहीं होता।”
– संयुक्त निकाय.
11. “अपने दीपक स्वयं बनो।”
– महापरिनिब्बान सुत्त.
12. “अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है।”
– धम्मपद 270.
13. “संयम ही सच्चा तप है।”
– धम्मपद 276.
14. “सच्चा मित्र वही है जो संकट में साथ दे।”
– जतक कथाएं.
15. “मुक्ति स्वयं के प्रयास से ही संभव है।”
– सुत्तनिपात.
16. “ज्ञान से ही अंधकार मिटता है।”
– विनय पिटक.
17. “क्रोध एक जलता हुआ अंगारा है, जो पहले खुद को जलाता है।”
– धम्मपद 222.
18. “कर्म के बिना ज्ञान अधूरा है।”
– अंगुत्तर निकाय.
19. “जो दूसरों को दुख देता है, वह स्वयं दुखी रहता है।”
– धम्मपद 131.
20. “विवेकशील व्यक्ति दूसरों के कल्याण में भी अपना कल्याण देखता है।”
– सुत्तनिपात.
21. “ध्यान करो, क्योंकि ध्यान से ही शुद्धता आती है।”
– धम्मपद 183.
22. “जिसके मन में दया है, वह कभी क्रूर नहीं हो सकता।”
– सुत्तनिपात.
23. “संपत्ति की नहीं, सद्गुणों की प्रशंसा करो।”
– जतक कथाएं.
24. “अज्ञानता ही सबसे बड़ा अंधकार है।”
– धम्मपद 243.
25. “शांति पाने के लिए पहले भीतर से शांत बनो।”
– धम्मपद 378.
26. “जीवन क्षणिक है; इसे जागरूक होकर जियो।”
– महापरिनिब्बान सुत्त.
27. “भूतकाल पर मत रोओ, भविष्य की चिंता मत करो, वर्तमान में जिओ।”
– सुत्तनिपात.
28. “जो दूसरों के लिए दीप जलाता है, उसका पथ भी प्रकाशित होता है।”
– धम्मपद 146.
29. “दूसरों की आलोचना करने से पहले अपने आचरण को देखो।”
– धम्मपद 252.
30. “क्रोध का अंत क्षमा में है।”
– सुत्तनिपात.
31. “संघ में एकता ही असली शक्ति है।”
– विनय पिटक.
32. “बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा मौन को अपनाता है।”
– धम्मपद 268.
33. “ईर्ष्या आत्मा को खा जाती है।”
– धम्मपद 251.
34. “अपने विचारों को सकारात्मक बनाओ – जीवन बदल जाएगा।” – धम्मपद 1–2
35. “विचार ही कर्म का बीज होता है।”
– सुत्तनिपात.
36. “शुद्ध हृदय से दिया गया दान सबसे श्रेष्ठ होता है।”
– अंगुत्तर निकाय.
37. “अनुशासन के बिना जीवन दिशाहीन होता है।”
– धम्मपद 322.
38. “धम्म में आस्था रखने वाला कभी अकेला नहीं होता।”
– संयुक्त निकाय
39. “जो जितना देता है, उतना ही पाता है।”
– जतक कथाएं.
40. “सत्य का मार्ग कठिन हो सकता है, परंतु वही शाश्वत है।”
– धम्मपद 277.
41. “जो जागता है, वही जीवित है।”
– धम्मपद 21.
42. “जो मोह में डूबा है, वह सत्य को नहीं देख सकता।”
– धम्मपद 7.
43. “मित्रता सबसे बड़ा उपहार है।”
– सुत्तनिपात.
44. “मौन भी एक उत्तर होता है, जब आप समझदारी से चुनें।”
– सुत्तनिपात.
45. “एक क्षण का क्रोध सौ वर्षों के पुण्य को नष्ट कर सकता है।”
– धम्मपद 5.
46. “कठिन समय में संयम ही धर्म है।”
– धम्मपद 223.
47. “सत्य सदा विजयी होता है।”
– धम्मपद 277.
48. “विवेकशील व्यक्ति छोटी-छोटी बातों में भी धर्म देखता है।”
– सुत्तनिपात.
49. “वाणी से ज़्यादा, कार्य से व्यक्ति की पहचान होती है।”
– धम्मपद 259.
50. “एक दीपक से हज़ारों दीपक जलाए जा सकते हैं, फिर भी पहले दीपक की रोशनी कम नहीं होती।”
– धम्मपद 146.
51. “ध्यान ही अमरत्व का मार्ग है, और ध्यान न करना मृत्यु की ओर ले जाता है।”
– धम्मपद 21.
52. “अहंकार व्यक्ति को अंधा बना देता है।”
– धम्मपद 94
53. “जीवन का सार – दुःख का अंत और शांति की प्राप्ति।”
– धम्मचक्कप्पवत्तन सुत्त
54. “जो मन को वश में करता है, वही सच्चा योद्धा है।”
– धम्मपद 103
55. “प्रेम वह है, जो बिना अपेक्षा के दिया जाए।”
– जतक कथाएं
56. “जो दूसरों के लिए करता है, वही सबसे बड़ा होता है।”
– सुत्तनिपात
57. “विचार पहले आते हैं, शब्द और कर्म बाद में।”
– धम्मपद 1
58. “मुक्ति भीतर से होती है, बाहर से नहीं।”
– सुत्तनिपात
59. “क्रोध को शांत करने के लिए मौन सबसे बड़ा उपाय है।”
– धम्मपद 223.
60. “धर्म का पालन करना स्वयं को जानने का मार्ग है।”
– अंगुत्तर निकाय