“मन का दीप जलना चाहिए, मन का दीप जलने के लिए हमे शुद्ध धर्म को समझना चाहिए ,ताकि हम आगे के लिए भी प्रकाशवान बने।”
भगवान बुद्ध ने कहा इस संसार मे चार प्रकार के लोग होते है।
1) एक जो अंधकार से अंधकार की ओर भागे जा रहा है।
2) दूसरे जो प्रकाश से अंधकार की ओर भागे जा रहे है।
3) तीसरे वे जो प्रकाश से प्रकाश की ओर जा रहे है।
4) चौथे वे जो अंधकार से प्रकाश की ओर जा रहे है।
प्रकाश से अंधकार और अंधकार से अंधकार की ओर जाने वाले मूर्ख है और जो प्रकाश की ओर जा रहे है वो आर्य बन रहे है।ये बात समझने की है कि अंधकार से अंधकार की ओर जानेवाले अपने जींवन में दुख,व्याकुलत और परेशानियां होते हुए भी अपने आगे के समय के लिए और अंधकार और परेशानियां पैदा कर रहे है।अपने पूर्व कर्मो का आकलन करने के बजाय दुसरो को दोष देते है।
और प्रकाश से अंधकार की ओर जाने वाले लोग अपने वर्तमान समय मे प्राप्त सभी उपलब्धियो का घमंड करते है और दूसरे लोगों को हीन भावना से देखते है ,घृणा करते है और अंधकार से प्रकाश की ओर जाने वाले अपने दोषों को,अपनी गलतियों को सजग होकर दुसरो को दोष देने के बजाय अपने आपको दोषी मानकर आगे बढ़ने का प्रयाश करते है और प्रकाश से प्रकाश की ओर जाने वाले लोग समझते है जो भी उपलब्ध किया है वह पुण्य कर्मों से पाया है और मुझे अभी भी पुण्य कमाना है
और अच्छे काम करने है ताकि आगे आने वाले समय में
भी प्रकाश बना रहे।जो भी प्राप्त किया है उसे मैं बांटता चलु, औरों का भला भी करू तो मन मे प्रज्ञा का भाव जागता है।
हमे ऐसे कर्म करने चाहिए जिससे जींवन में प्रकाश बना रहे।भगवान बुद्ध के भितर प्रकाश जागा।पहले उन्हें धर्म का ज्ञान नही था ,पर जब अपने पुण्य कर्मों से उनके अंदर प्रकाश जागने लगा तब उन्होंने सही में धर्म को पाया।उनके भीतर प्रज्ञा का भाव जागा ,आलोक जागा।परिश्रम और कड़ी मेहनत से ही मन मे प्रकाश जागता है।किसी की कृपा से नही जागता है ।अगर किसी की कृपा से जागता है तो वह व्यक्ति सामर्थ्यवान नही है,कारुणिक नही है।अपने उत्तरदायित्व को पुरा करके ही मन मे प्रकाश जागता है।
प्रकाश का यह पर्व मनाते मनाते हमे एक और चीज का ध्यान रखना है कि वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण न हो जिससे वातावरण को नुकसान पहुचता है,बच्चो में घबराहट होती है,पशु ,पक्षियों में घबराहट होती है,जिससे दुसरो को दुख पहुचता है,ऐसा हमे नही करना है।हमने सभी में प्रसन्नता फैलानी है और सभी विकारों को दूर करना है तभी सबका मंगल होगा ,कल्याण होगा,स्वस्थ होगा।
– आचार्य सत्य नारायणजी गोयनका
दीप दान पर्व की सभी को मंगलमय शुभकामनाएं।
!! सब्ब सत्ता सुखी होन्तु !!