
भगवान बुद्ध का जीवन और उनका धम्म केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवन जीने की कला है। यह धम्म न किसी ईश्वर की उपासना सिखाता है, न अंधश्रद्धा में विश्वास करता है। यह आत्मज्ञान, करुणा और समता का मार्ग है – एक ऐसा मार्ग जो व्यक्ति को अंदर से जागरूक बनाता है और समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने की शक्ति देता है।
धम्म क्या है?
धम्म का अर्थ है – सत्य, नीति, न्याय और कर्तव्य। बुद्ध ने कहा था –
“धम्म वह है जो तुम्हें दुःख से मुक्ति दिलाता है।”
धम्म कोई पूजा-पाठ नहीं है। यह है –
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पंचशीलों का पालन
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मध्यम मार्ग पर चलना
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अष्टांगिक मार्ग का अभ्यास
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क्रोध, मोह, द्वेष का त्याग
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करुणा और मैत्री से जीना
बुद्ध ने क्या सिखाया?
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अप्प दीपो भव – “स्वयं दीपक बनो”, यानी किसी पर निर्भर नहीं, स्वयं पर विश्वास रखो।
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प्रत्येक व्यक्ति समान है, जात-पात, ऊँच-नीच केवल समाज की कल्पना है।
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धम्म का पालन करो, चाहे कोई देखे या न देखे – क्योंकि यही आत्मकल्याण का मार्ग है।
आज के युग में धम्म क्यों ज़रूरी है?
आज हम भौतिक सुख-सुविधाओं से घिरे हुए हैं, लेकिन मन अशांत है। हर ओर तनाव, हिंसा, और असमानता है। ऐसे समय में बुद्ध का धम्म –
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आंतरिक शांति देता है,
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समता का संदेश देता है,
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जातिवाद और भेदभाव से मुक्ति दिलाता है,
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और समाज में करुणा व बंधुत्व लाता है।
समता, शिक्षा और संगठन: बाबासाहेब की दृष्टि
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने बुद्ध के धम्म को भारत के करोड़ों शोषितों के लिए मुक्ति का मार्ग बताया। उन्होंने कहा –
“बुद्ध का धम्म मनुष्य को आत्मगौरव, स्वतंत्रता और नैतिकता प्रदान करता है।”
उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 को लाखों अनुयायियों के साथ बुद्ध धम्म अपनाया और बताया कि यह एक क्रांति है – धार्मिक, सामाजिक और मानसिक मुक्ति की।
निष्कर्ष:
बुद्ध का धम्म कोई पुराना इतिहास नहीं है – यह आज और कल की ज़रूरत है। यह हमें इंसान बनाता है, सोचने की शक्ति देता है, और जीने का सही रास्ता दिखाता है।
🙏 आइए, बुद्ध के बताये मार्ग पर चलें
🙏 पंचशील को अपनाएँ
🙏 समता, शांति और करुणा का दीप जलाएँ