सावित्रीबाई फुले शिक्षक होने के साथ भारत के नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता, समाज सुधारक और मराठी कवयित्री भी थी। इन्हें बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए समाज का कड़ा विरोध झेलना पड़ा था। कई बार तो ऐसा भी हुआ जब इन्हें समाज के ठेकेदारों से पत्थर भी खाने पड़े।
Savitribai Phule: भारत की पहली महिला टीचर थीं सावित्रीबाई १८५३ में सावित्रीबाई और ज्योतिराव ने एक शिक्षा समाज की स्थापना की, जिसने आस-पास के गांवों में सभी वर्गों की लड़कियों व महिलाओं के लिए और अधिक विद्यालय खोले. उनकी यात्रा आसान नहीं थी. विद्यालय जाते समय उन्हें गालियां दी जाती थीं और उन पर गोबर फेंका जाता था भरे समाज मे अपमानित किया जाता था।
सावित्रीबाई फुले का उद्देश्य क्या था? ज्योतिबा फुले स्त्री शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। वे महिलाओं की आत्मनिर्भरता से लेकर उनकी सामाजिक अन्याय से मुक्ति के लिए शिक्षा को ही अनिवार्य साधन मानते थे। इसी उद्देश्य से उन्होंने अपनी पत्नी सावित्री को स्वयं शिक्षित ही नहीं किया, बल्कि उन्हें अन्य स्त्रियों को भी शिक्षित करने का उत्तरदायित्व भी सौंपाकल 3-जनवरी को राष्ट्र माता शिक्षा की देवी साबित्री बाई फुले की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन
सौ०- दिनेश रत्न बौध्द शाक्य मैनपुरी उत्तर प्रदेश भारत।