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ऐतिहासिक जानकारी के अभाव के कारण भारत के लोग यह समझते हैं। कि योग के निर्माता पतंजलि है लेकिन सच्चाई यह है कि तथागत बुद्ध योग के निर्माता है उक्त बातें उच्च न्यायालय के अधिवक्ता डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) के अध्यक्ष आईपी रामबृज ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताई। रामबृज ने आगे बताया कि योग का मूल आधार बुद्ध ने बताई हुई दूर करना और प्रज्ञा अर्थात बोधि प्राप्त करना योग का मूल उद्देश्य है।

बुद्ध के अविद्या को पतंजलि ने विपर्यास कहा है और प्रज्ञा को बुद्ध की योग संकल्पना को विस्तृत ‘तस्य सप्तधा प्रांतभुमिह प्रज्ञा’ (योगसूत्र बताया है। पतंजलि और व्यास इन दोनों 2.27) कहा है। योग के संदर्भ में ने बुद्ध की योग संकल्पना पर आधारित पतंजलि ने योगसूत्र और व्यास ने भाष्य योग का विस्तृत स्पष्टीकरण किया है लिखा है लेकिन इन दोनों ग्रंथों में उन्होंने लेकिन उन्होंने बुद्ध का नाम अपने ग्रंथों में नहीं लिया है। ऐसा क्यों ? क्योंकि यह दोनों बुद्ध के सिद्धांतों की अपने नाम पर प्रसारित करना चाहते थे।

बुद्ध की योग संकल्पना पर बौद्ध विद्वान भिक्खु आसंग ने चौथी सदी में योगाचार पंथ का निर्माण कर दिया था। अभी नये संशोधन से पता चला है कि पतंजलि का योगसूत्र ग्रंथ पांचवी सर्दी में लिखा गया है और वह योगाचार पर आधारित है। इससे स्पष्ट होता है कि पतंजलि का और योग का कोई भी संबंध नहीं है। बुद्ध ने योग को सामने लाया है इस सत्य पतंजलि को योग का निर्माता बताया जा रहा है। इसलिए बहुजनों ने झूठे ब्राम्हणवादी इतिहास को नकारकर सच का सामना करना चाहिए और सच यही है की पतंजलि नहीं बल्कि तथागत बुद्ध योग के निर्माता है इसलिए योग को “बुद्ध का योग” कहें।

 

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