पाकिस्तान में युनिवर्सिटी के स्टुडेंट्स बडे़ उत्साह से बौद्ध शिल्पों का अध्ययन कर रहे हैं और उनका संरक्षण तथा संवर्धन कर रहे हैं| पाकिस्तान और अफगानिस्तान प्राचीन काल में बौद्ध धर्म का मजबूत गढ़ था और वहाँ की गांधार बौद्ध शिल्पकला दुनिया में बेहद प्रसिद्ध थीं| मथुरा बौद्ध शिल्पकला की तरह गांधार शिल्पकला का दुनिया में अत्यंत महत्व था|
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मुसलमानों को अब बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क की जागृति के कारण अपने प्राचीन बौद्ध इतिहास तथा विरासत का महत्व समझ में आ रहा है| इसलिए, वहाँ के युवा, महिला तथा सभी लोग बडी़ सहानभूति के साथ प्राचीन बौद्ध स्थलों का संरक्षण, संवर्धन तथा अध्ययन कर रहे हैं और संपुर्ण दुनिया में उसका प्रसारण कर रहे हैं|
भारत के मुसलमानों ने भी इस बात को समझना चाहिए| बौद्ध धर्म और इस्लाम एक दुसरे के विरोधी धर्म नहीं, बल्कि मित्र धर्म है और दोनों का मुख्य उद्देश्य समता, स्वतंत्रता, बंधुता और न्याय स्थापित करना है| यह बात अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मुसलमानों को समझ आ गयी है| भारत के मुसलमानों ने भी बुद्ध और बौद्ध धर्म को समझने की कोशिश करनी चाहिए, और प्राचीन बौद्ध इतिहास तथा विरासत बचाव आंदोलन में बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क का साथ सहयोग करना चाहिए|
-डॉ. प्रताप चाटसे, बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क
Conservation and Enrichment of Buddhist heritage in Pakistan and Afghanistan is rapidly started.