
🪔 धम्म कथा #5
अंगुलिमाल – एक हत्यारा भिक्षु बन जाता है!
(हिंसा पर धम्म की विजय)
🪷 प्रस्तावना:
धम्म का मार्ग केवल साधुओं के लिए ही नहीं, सभी के लिए खुला है – यहाँ तक कि अपराधी भी मोक्ष का मार्ग खोज लेते हैं। बुद्ध के जीवन में एक असाधारण घटना घटी – उन्होंने एक भयानक हत्यारे, अंगुलिमाल का धर्म परिवर्तन कराया। यह कथा धम्म की असीम शक्ति, परिवर्तनकारी शक्ति और करुणामयी शक्ति को दर्शाती है।
📖 कथा:
प्राचीन काल में, कोसल देश में, अहिंसा नाम का एक मेधावी ब्राह्मण युवक था, जो एक अहिंसक व्यक्ति था। वह तक्षशिला विश्वविद्यालय में एक गुरु के अधीन अध्ययन कर रहा था। लेकिन अन्य छात्र उससे ईर्ष्या करते थे और उन्होंने गुरु से झूठी शिकायत की –
“अणिमासक गुरु की पत्नी के प्रति आकर्षित है।”
क्रोध से अंधे होकर, गुरु ने कहा –
“यदि तुम अपनी शिक्षा पूरी करना चाहते हो, तो 1000 लोगों की उंगलियाँ एकत्र करो।”
यह सुनकर अहिंसक भयभीत हो गया, लेकिन उसने गुरु की आज्ञा का पालन किया और जंगल में जाकर लोगों को मारना शुरू कर दिया। उसने अपनी हर उंगली की माला बाँधी और अपनी गर्दन में उंगलियों की एक माला डाल ली। इससे उसका नाम अंगुलिमाल पड़ा।
पूरा कोसल देश उसके भय से काँप रहा था। कोई भी उस रास्ते से नहीं जाता था।
⚔️ बुद्ध से भेंट:
एक दिन, तथागत बुद्ध उस जंगल से गुज़र रहे थे।
लोगों ने उन्हें रोका –
“आदरणीय महोदय! अगला अंगुलिमाल है, वह बहुत क्रूर है!”
बुद्ध ने कहा –
“मैं उसी के पास जा रहा हूँ जिसे बचाने आया हूँ।”
बुद्ध अकेले जंगल में गए।
अंगुलिमाल ने उन्हें देखा।
“यह अकेला भिक्षु – मैं इसे भी मार डालूँगा!”
उसने अपनी तलवार ली और भागने लगा।
लेकिन एक अजीब बात हुई –
वह चाहे जितनी भी तेज़ दौड़े, वह बुद्ध को देख तो सकता था, लेकिन उन तक पहुँच नहीं पा रहा था!
वह डर के मारे चिल्लाया –
“रुको भिक्षु! रुको!!”
बुद्ध ने कहा –
“मैं रुक गया हूँ, अंगुलिमाल। अब तुम रुक जाओ।”
“मैं? क्या तुम नहीं रुके?” – अंगुलिमाल आश्चर्यचकित हुआ।
बुद्ध ने शांति से कहा –
“हाँ, मैं हिंसा से, घृणा से रुक गया हूँ। लेकिन तुम अभी भी हिंसा के मार्ग पर हो।”
बुद्ध के शब्द उसके हृदय में उतर गए। उसे अपना अपराधबोध समझ में आ गया। वह बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा।
“आदरणीय महोदय! मुझे मोक्ष का मार्ग दिखाइए!”
बुद्ध ने उसे भिक्षु संघ में शामिल कर लिया।
🙏 अंगुलिमाल का चिंतन:
एक पूर्व क्रूर हत्यारा अब एक शांत, संयमी भिक्षु बन गया। लोगों ने उसे पहचान लिया, कई लोग उस पर क्रोधित हुए – उसे पत्थर मारे, उसका अपमान किया। लेकिन अंगुलिमाल शांत रहा।
तथागत ने कहा –
“तुमने पहले दूसरों का खून बहाया, अब तुम अपने मन को शुद्ध करो – यही सच्चा धम्म है।”
🙏 अंगुलिमालचा परावर्तन:
पूर्वीचा एक क्रूर हत्यारा आता शांत, संयमी भिक्खू झाला. लोकांनी त्याला ओळखलं, अनेकांनी त्याच्यावर राग काढला – दगड मारले, अपमान केला. पण अंगुलिमाल शांत राहिला.
तथागत म्हणाले –
“तू पूर्वी दुसऱ्यांचे रक्त सांडलेस, आता तू स्वतःच्या मनाचे शुद्धीकरण करतोस – हा खरा धम्म आहे.”
🧘 धम्म संदेश:
- कोई भी व्यक्ति पूर्णतः पतित नहीं होता। परिवर्तन संभव है।
- धम्म केवल बुद्धिमानों के लिए नहीं है, यह सभी के लिए है – यहाँ तक कि दोषियों के लिए भी।
- सच्चा सुख तभी शुरू होता है जब हिंसा, घृणा और मोह समाप्त हो जाते हैं।
- क्षमा और धैर्य ही सच्ची शक्ति हैं।
📚 संदर्भ:
मज्झिम निकाय – अंगुलिमाल सुत्त, थेरगाथा, धम्मपद
Majjhima Nikaya – Angulimala Sutta, Theragatha, Dhammapada
🔖 सारांश:
“पहले मैं अज्ञानतावश बुरे मार्ग पर चल रहा था। अब, तथागत की कृपा से, मुझे शांति, करुणा और निर्वाण का मार्ग मिल गया है।”
– भिक्खु अंगुलिमाल