बामियान यूनेस्को साइट, पिछले साल 2 लाख लोग पहुंचे बामियान अफगानिस्तान के सबसे गरीब प्रांतों में शामिल है। हिंदुकुश की पहाड़ियों के बीच बसे बामियान के ज्यादातर लोग सिर्फ आलू की खेती और कोयले के खनन पर निर्भर है। यूनेस्को ने 2003 में बामियान को ऐतिहासिक स्थल का दर्जा दिया था। अब बुद्ध की मूर्तियों की खाली जगह के सामने बंदूकधारी गार्ड तैनात है। यहां अफगान पर्यटकों के लिए 3 रुपए और विदेशो पर्यटकों के लिए 282 रुपए का टिकट रखा गया है। यहां पर 2015 के बाद से लेजर शो होता है। पिछले साल 2 लाख से भी ज्यादा अफगान पर्यटक बामियान पहुंचे थे। इनमें से हर व्यक्ति ने औसत 5 हजार रुपए खर्च किए थे।
वैश्विक प्रतिबंधों और दुनियाभर से मिलने वाली वित्तीय सहायता में कटौती के कारण अफगानिस्तान नकदी से संकट से जूझ रहा है। इसी वजह से 22 साल पहले बामियान में बुद्ध प्रतिमाओं को तोड़ने वाली तालिवान सरकार फिर से बामियान को पर्यटकों के लिए गुलजार करने में जुटी है। कभी मूर्तियों को रकिट लॉन्चर से उड़ाने वाले तालिबान को युद्ध से बुद्ध के रास्ते पर लौटना पड़ रहा है।
मिलिट्री ट्रेनिंग से छुट्टी लेकर यहां घूमने आए सैनिक ख्याल मोहम्मद कहते हैं कि बामियान अफगानिस्तान की पहचान है, इसे नहीं तोड़ना चाहिए था। जिन लोगों ने यहां तोड़फोड़ की थी वे लोग बेहद लापरवाह थे। मार्च 2001 में तालिबान के संस्थापक मोहम्मद उमर ने बुद्ध को देवता मानने से इनकार कर दिया था। इसके साथ ही बामियान की मूर्तियों को तोड़ने की घोषणा की थी। दुनियाभर की दलीलों को अनसुना करते हुए तालिबान ने विस्फोटक लगाकर और एंटी। एयरक्राफ्ट गन से 1500 वर्ष पुरानो बुद्ध प्रतिमाओं को मिट्टी में मिला दिया था।
अंतर: मौजूदा सरकार बताना चाहती हैं कि हम ज्यादा उदार
अफगानिस्तान की मौजूदा तालिबान सरकार सत्ता में आने के बाद से बामियान को विकसित करने में जुटी है। हालिया सरकार दिखाना चाहती है कि वे पुराने तालिबान से ज्यादा उदारवादी है। बामियान में कई जगह लिखा मिलता है कि आतंकी तालिवानी समूह’ ने बुद्ध की प्रतिमाएं तोड़ी हैं। हालांकि सब जगह पर ‘आतंकी’ शब्द को खुरच दिया है।
पहलः धरोहरों स्थलों के लिए देशभर में हजार गार्ड तैनात
तालिबान सरकार के उप सांस्कृतिक मंत्री अतिकुल्लाह अजीजी कहते है कि हमने देशभर में धरोहरों को बचाने के लिए एक हजार से ज्यादा गार्ड तैनात किए हैं। वहीं, सूचना और सांस्कृतिक विभाग के निदेशक सैफुर्रहमान मोहम्मदी का कहना है कि दो दशक पहले हुई घटना के बारे में अभी बात से कोई मतलब नहीं है। यह अब आगे बढ़ने का समय है।
खतराः अतिक्रमण, अवैध खनन और तस्करी जारी
वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा होने के बाद भी बामियान में पुख्ता सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं। बामियान की पहाड़ियों में कई जगह अवैध रूप से लोग सह रहने लग गए हैं। यहां के इतिहास से जुड़ी कई सारी कलाकृतियों की तस्करी के मामले भी लगातार सामने आते रहे। इसके अलावा बामियान की पहाड़ियों में हो रहा अवैध खनन भी विश्व विरासत के लिए खतरा बना हुआ है।