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हैदराबाद में हुसैन सागर झील के बीच में ‘जिब्राल्टर की चट्टान’ पर भगवान बुद्ध की ३५० टन वजनी दुनिया की सबसे बड़ी मोनोलिथिक ग्रेनाइट की मूर्ति रखी गई है। एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील के रूप में प्रसिद्ध, हुसैन सागर झील हैदराबाद में स्थित सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। इस झील का मुख्य आकर्षण एक अखंड बुद्ध प्रतिमा है जो झील के केंद्र में स्थित है। मुसी नदी की एक सहायक नदी पर स्थित इस सुरम्य झील को टैंक बुंद भी कहा जाता है। अपने अद्वितीय हृदय-आकार की रूपरेखा के कारण, हुसैन सागर झील को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा ‘हार्ट ऑफ़ द वर्ल्ड’ भी घोषित किया गया है। इस लेक के आकर्षण में 3 किमी लंबी बांध की दीवार भी है जो हैदराबाद और सिकंदराबाद जुड़वां शहरों को जोड़ती है। यह 3 तरफ से इंदिरा पार्क, संजीवैया पार्क और लुम्बिनी पार्क से घिरा है जो इसके आकर्षण में चार चाँद लगाने का कार्य करते है।
हैदराबाद की हुसैन सागर झील भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सबसे शानदार जगहों में से एक है। यह झील आधुनिक वास्तुशिल्प चमत्कारों में से एक है। इस झील की खासियत है इसमें मौजूद एक विशाल बुद्ध प्रतिमा जो सभी पर्यटकों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र है। लेकिन यह प्रतिमा देखने में जितनी सरल और सुरक्षित प्रतीत होती है इसका निर्माण वास्तव में उतना ही कठिन कार्य था। इसका निर्माण वस्तुशिल्पकारों के लिए वास्तव में एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन इस खूबसूरत झील के बीच आश्चर्यजनक रूप से स्थापित बुद्धा की प्रतिमा को स्थापित करने में लगभग 2 साल का समय लगा। आइए जानें इस झील और बुद्धा की मूर्ति से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
हुसैन सागर बुद्ध प्रतिमा दक्षिण भारत के तेलंगाना के हैदराबाद में स्थित गौतम बुद्ध की दुनिया की सबसे ऊंची अखंड पत्थर की मूर्ति है। यह प्रतिमा हुसैन सागर द्वीप में लुम्बिनी पार्क में स्थित है और इस जगह पर नाव से पहुँचा जा सकता है। यह जगह वास्तव में दिखने में खूबसूरत होने के साथ पर्यटकों को भी आश्चर्य से भर देती है। यह मूर्ति एक ठोस मंच के ऊपर खड़ी हुई  है, जिसकी ऊँचाई 15 फीट है जिसे हुसैन सागर झील के मध्य में बनाया गया था ताकि प्रतिमा को खड़ा करने में सहायता मिल सके। इस मंच को “रॉक ऑफ जिब्राल्टर” के रूप में जाना जाता है और हुसैन सागर झील के बीच में मूर्ति का निर्माण बेहद खूबसूरती से किया गया है। इस मूर्ति के निर्माण के लिए शहर की सड़कों को भी चौड़ा बनाया गया था।

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