Sat. Oct 19th, 2024

भैरहवा/सोनौली। लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन संकाय की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संगोष्ठी शनिवार से लुंबिनी में शुरू हो गई है। लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय केंद्रीय कार्यालय के हॉल में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार का शुभारंभ ताइवान के भिक्षु मास्टर हुई गैंग ने किया। उन्होंने कहा कि दुनिया में बौद्ध शिक्षा का महत्व बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करेंगे तो आप किसी भी कठिनाई से पार पा सकते हैं। प्राकृतिक असंतुलन को समाप्त करने के लिए बौद्ध शिक्षा को जीवन के लिए उपयोगी बनाने के लिए इसके प्रचार-प्रसार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

International Buddhist Seminar: Increasing importance of Buddhist education in the world

थाईलैंड से लुंबिनी पहुंचे प्रोफेसर डॉ. भिक्षु सुगंध (अनिल शाक्य) ने कहा कि व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए बुद्ध की शिक्षाएं जरूरी हैं। उन्होंने विश्व में मित्रता, करुणा और शांति बनाए रखने के लिए बुद्ध की शिक्षा को महत्वपूर्ण बताया। राष्ट्रीय योजना आयोग के सदस्य डॉ. रमेशचंद्र पौडेल ने कहा कि बौद्ध शिक्षा को व्यावहारिक तरीके से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेपाल की शैक्षणिक योजनाओं में बौद्ध शिक्षा को शामिल किया जाएगा।

श्रीलंका के डॉ. विश्व के सबसे सुखी व्यक्ति सचिन हंसिका फ्रांस के मैथ्यू रिकार्ड ने इस बात पर जोर दिया कि सुख, शांति और अहिंसा के लिए बुद्ध की शिक्षाओं और शिक्षाओं को जीवन में उतारना जरूरी है। भारत के प्रोफेसर डाॅ. उदय कुमार, म्यांमार के प्रो.डॉ. शॉर्ट सैंडर, ताइवान से प्रो.डॉ. क्रिस्टी चांग, म्यांमार से भिक्षु बुद्धघोस, पुर्तगाल से डॉ. सोनिया गोम्स और अन्य ने कहा कि बौद्ध शिक्षाओं को अपनाना जरूरी है क्योंकि यह उन्हें नैतिक रूप से जिम्मेदार बनाती है। सेमिनार में भारत, नेपाल, थाईलैंड, फ्रांस, एस्टोनिया, म्यांमार, जापान, बांग्लादेश, ताइवान, श्रीलंका, पुर्तगाल, नॉर्वे और अन्य देशों के बौद्ध भिक्षुओं और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इस दौरान आचार्य बालकृष्ण, डाॅ. चिंतामणि योगी, भानु शर्मा, प्रोफेसर डॉ. विशाल सितौला, प्रोफेसर डॉ. क्षितिज बाराकोटी, डॉ. विकासानंद मौजूद रहे।

Related Post