जय भीम बहुजन समाज की एक नई पहचान है जो सबको एकता के सूत्र में पिरो देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जय भीम का नारा कहां से आया ? वो कौन था जिसने सबसे पहले जय भीम बोला था ? और कैसे जय भीम आज बहुजन समाज की पहचान बन गया है ? बाबू हरदास जी की जंयती पर जानिए आखिर क्यों कहा जाता है इनको “जय भीम” का जनक ?
परिचय : बाबू हरदास लक्षमण नगराले
गूगल पर जब आप जय भीम लिखते हैं तो इसकी उत्पत्ति के बारे में कई लेख और खबरें मिलती हैं। अलग-अलग लोगों ने तरह-तरह के दावे किये हैं… इसलिए हमने इसकी पुख्ता जानकारी हासिल करने के लिए खूब पड़ताल की। इस बारे में हमें जानकारी मिली कि असल में जय भीम शब्द की उत्पत्ति महाराष्ट्र में हुई थी और इस जय भीम शब्द को जन्म देने वाले थे बाबू हरदास लक्षमण नगराले।
बाबू हरदास वह शख्स है जो बाबा साहेब के साथ रहे हैं। वो १९२१ में हुए सामाजिक आंदोलन में भी बाबा साहेब के साथ थे। बाबू हरदास लक्ष्मण नगराले बाबा साहेब के साथ आंदोलनों में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया करते थे। ऐसा नहीं था कि बाबू हरदास किसी-किसी आंदोलन में बाबा साहेब के साथ होते थे। बल्कि १९३० में हुए नासिक कालाराम मंदिर सत्याग्रह और वर्ष १९३२ में पूना पैक्ट के दौरान भी बाबू हरदास ने बाबासाहब अम्बेडकर के साथ रहकर एक अति महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
जय भीम का विचार आया कहां से आया ?
लेकिन अब सावल यह उठता है कि आखिर बाबू हरदास को जय भीम का विचार आया कहां से आया ? कैसे उनके दिमाग में यह विचार आया कि ऐसा भी कोई शब्द होना चाहिए जो सभी को समानता का एहसास दिलाए और लोगों को एक साथ एकता में बांधे रखने में भी मदद करें।
असल में बाबू हरदास के मन में जय भीम शब्द का संबोधन पहली बार एक मुस्लिम व्यक्ति को देखकर आया था। हुआ यूं था कि उन्होंने मुस्लिम समाज के कार्यकर्ता को एक दूसरे मुस्लिम भाई से ‘अस्सलाम-अलेकुम’ कहते हुए देखा। जिसके जवाब में दूसरा मुस्लिम वक्ति भी ‘अलेकुम-सलाम’ कह कर संबोधन कर रहा था। बस यही वह पल था जिसे देखकर बाबू हरदास ने सोचा कि मुस्लिम भाईयों की तरह हमें भी एक दूसरे का अभिवादन करना चाहिए।
जय भीम का जवाब बल भीम से
लेकिन तभी उनके दिमाग में तुरंत एक विचार उत्पन्न हुआ कि आखिर अभिवादन में कहना क्या चाहिए? उनके मन में आया है कि हम लोग भी एक दूसरे से ‘‘जय भीम’’ का अभिवादन कहेंगे। इसके बाद उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि, मैं आप सभी लोगों से अभिवादन के तौर पर आपसे ‘जय भीम’ कहूँगा और आप उसके जवाब में ‘बल भीम’ कहना। तभी से यह अभिवादन शुरू हो गया। लेकिन अब एक सवाल फिर से आप सभी के मन में उठ रहा होगा कि हम लोग अभिवादन में जय भीम बोलते है तो जवाब में भी जय भीम बोला जाता है। लेकिन मेरे द्वारा दी जा रही जानकारी के अनुसार जय भीम के अभिवादन में बल भीम कहना था। अब इसके पीछे भी एक कारण है।
पहले बल भीम से जय भीम नारा
असल में हुआ कुछ यूं कि शुरूआत में बहुजन समाज में जय भीम के संबोधन में बल भीम ही कहा जाता था। लेकिन समय के साथ साथ समाज के लोगों ने इसमें परिवर्तन कर दिया और उन्हें पता ही नहीं चला। वह बल भीम के बदले जय भीम ही बोलने लगे जिसके कारण बल भीम प्रचलन से धीरे धीरे गायब होता गया और जय भीम ने उसका स्थान ले लिया। तब से लेकर आज तक ‘जय भीम’ आभिवादन चल रहा है। जय भीम का यह नारा आज भी देश के ८५ प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज को एक धागा में माला की तरह एक साथ रखने का काम कर रहा है।
बाबू हरदास और १९३३ – १९३४ साल का महत्व
आपको बता दूं कि जय भीम का नारा बाबू हरदास ने साल १९३३ -१९३३४ में समता सैनिक दल को नागपुर में दिया था। और तभी से ‘जय भीम’ का नारा हर जगह छा गया। जय भीम का अर्थ होता है भीम की जीत हो या फिर डॉ. भीम राव अंबेडकर जिंदाबाद। अब आपको वह जानकारी देता हूं जिसे जानकर आप प्रसन्न हो जाएंगे।
लेकिन इस विषय पर एक मत और है। टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित इंरव्यू में जेएऩयू के प्रोफेसर विवेक कुमार के मुताबिक जय भीम शब्द की उत्पत्ति बाबा साहेब के जन्म से पहले ही हो चुकी थी। यानि लगभग ७३ साल पहले १८१८ में। उनका यह इंटरव्यू एप्रिल १८ , २०१६ को प्रकाशित किया गया। jnu के Centre for the Study of Social Systems, School of Social Science में बतौर प्रोफेसर विवेक कुमार ने बताया कि जय भीम का नारा पहली बार कोरेगांव के युद्ध में १ जनवरी १८१८ में बोला गया था।
यह युद्ध पेशवा और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुआ था। जेएनयू के प्रोफेसर विवेक कुमार ने इंटरव्यू मे बताया कि युद्ध के दौरान महार सिपाही ने (तत्कालिक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भाग) भीमा नदी पार करने के बाद जय भीम का उद्घोष किया। यह नारा उन्हें नील नदी पर विजय प्राप्ति के लिए प्रोत्साहित करता था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महार सेना ने पेशवा को हरा दिया था। बाबासाहेब भी हर वर्ष पुणे स्थित इस जगह जा कर महारों के द्वारा प्रदर्शित नुकरणीय वीरता को पुष्पांजलि अर्पित करते थे। प्रो. विवेक ने आगे बताया कि १९३६ में इंडिपेंडेट लेबर पार्टी (आईएलपी) की स्थापना के बाद, जब बाबासाहेब मुंबई चॉल में अपना जन्मदिन मना रहे थे तो उनके एक समर्थक ने शुभकामना देने के लिए जय भीम बोला जिसके बाद यह नारा बढ़ता चला गया।