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सांची स्तूप– चलो ! भव्य सांची महोत्सव में .भगवान बुद्ध, धम्म सेनापति सारीपुत्त और महामोग्गलान के अस्थि अवशेषों के दर्शन करने…26- 27 नवंबर 2022
सांची का स्तूप आज यूनेस्को की विश्व धरोहर है जो सम्राट अशोक ने भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेषों पर एक पहाड़ी पर बनवाया था. अगले पांच सौ साल तक इसके आसपास कई स्तूप, विहार, ध्यान केंद्र शिक्षा केंद्र बनते गये. सांची के तोरण द्वार शिल्प कला के बेजोड़ उदाहरण है.
भगवान बुद्ध सांची कभी नहीं आए थे. सांची से दस किमी. दूर स्थित विदिशा, उस काल का प्रसिद्ध नगर था. विदिशा के एक धनी वैश्य परिवार की पुत्री देवी से अशोक का विवाह हुआ था जिनसे पुत्री संघमित्रा व पुत्र महेंद्र हुए.
भिक्षु महेंद्र सिरीलंका धम्म प्रचार के लिए जाने से पहले एक माह तक अपनी माता देवी के पास विदिशा में रहे थे. सांची स्तूप के विकास में रानी देवी का भी महत्वपूर्ण योगदान है. एक जमाने में यह बुद्ध के धम्म, ध्यान, संस्कृति और शिक्षा का प्रमुख केंद्र था लेकिन बौद्ध धम्म की विलुप्ति के समय 11वीं शताब्दी के बाद 700 साल तक यह विशाल स्तूप क्षेत्र घने खतरनाक जंगल में दबकर दुनिया की नजरों से ओझल रहा.

• 1818 में ब्रिटिश अफसर जनरल टेलर ने साहस कर इस स्थान को खोज निकाला.
• 1851 में खुदाई में धम्म सेनापति सारीपुत्त और महामोग्गलान के अस्थि अवशेष मंजूषाएं मिली जिन्हें अलेक्जेंडर कनिंघम ने लंदन म्यूजियम में सुरक्षित रखवा दिया.
• 1912 से 1919 तक सांची के स्तूप का आज की अवस्था में रेस्टोरेशन किया गया.
• सिरीलंका के अनागारिक धम्मपाल द्वारा स्थापित महाबोधि सोसाइटी के अथक प्रयासों से सारीपुत्त और महामोग्गलान के अस्थि अवशेष लंदन से वापस भारत लाए गये.
• 30 नवंबर 1952 को सांची में बुद्ध उत्सव आयोजित किया गया जिसमें प्रधानमंत्री नेहरू और बाबा साहब अंबेडकर भी मौजूद थे. उस दिन श्रीलंका के बौद्ध संघ द्वारा निर्मित बुद्ध विहार में भगवान बुद्ध के प्रमुख शिष्य सारिपुत्र और महामोग्गलान के अस्थि अवशेष प्रतिष्ठापित किए गए.
• यूनेस्को ने 1989 में सांची के स्तूप को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया और सांची की प्रसिद्धि विश्व पटल पर बढ़ गई.
अब हर वर्ष नवंबर माह के अंतिम रविवार को इन स्मृति अवशेषों को जनता के दर्शनार्थ रखा जाता है जिसमें देश विदेश के हजारों बुद्ध अनुयायी शामिल होते हैं.
हम सभी भगवान बुद्ध और उनके दो प्रमुख शिष्यों के शरीर धातु (अस्थि अवशेष) के दर्शन करने जरूर चलें. सांची आज पूरे विश्व पटल पर भगवान बुद्ध की वाणी की गौरव गाथा कह रहा है.
सबका मंगल हो…. सभी प्राणी सुखी हो
प्रस्तुति :डॉ. एम एल परिहार जयपुर

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