सनातन धम्म एवं सहयोगी बौद्ध संघटनाओं के द्वारा – महाबोधि महाविहार से विदेशी ब्राम्हणों का कब्जा हटाने के लिए आमरण अनशन
तारीख: 12 फरवरी 2025 से | स्थानः महाबोधि महाविहार प्रांगण (बीटीएमसी ऑफिस के सामने) बौद्धगया बिहार
नेतृत्वः डॉ. विलास खरात (राष्ट्रिय अध्यक्ष, सनातन धम्म, नई दिल्ली)
प्रमुख मांगे 1)
महाबोधि महाविहार मैनेजमेंट कमिटी से विदेशी ब्राम्हणों को हटाया जाए, इसके लिए महाबोधि टेंपल एक्ट को निरस्त कर नए सिरे से कानून बनाकर बौद्धों के हवाले महाबोधि महाविहार सौंफ दे।
2) महाबोधि महाविहार को शिवालय कहनेवाले बिहार राज्य के राज्यपाल आर्लेकर पर देशद्रोह करने के अपराध में उन्हें तुरंत जेल डाला जाए।
3) महंत ब्राह्मण के कोठी में सैकड़ों की संख्या में बुद्ध मूर्तियां तथा बौद्ध राजाओं के अभिलेखों दीवारों में तथा किचन रुम रखे हुए है। उन्हें तुरंत प्रभाव से मुक्त किया जाए। अन्यथा महंत ब्राह्मण के कोठी पर लाखों संख्या में मोर्चा निकल सकता है!
4) जगन्नाथ मंदिर और आदि शंकराचार्य के नाम से जो जमीन कब्जा की है वह महाबोधि महाविहार की ही जमीन है। मूलनिवासी बौद्धों के धरोहर पर विदेशी ब्राम्हणों का क्या काम है? महाबोधि महाविहार के पांच बुद्ध मूर्तियों को ब्राह्मण खुलेआम पांच पांडव कहते है वह महंत ब्राह्मण के ही इशारे पर कहते है। महंत ब्राह्मण पर अंतरराष्ट्रीय धरोहर की बदनामी की इसलिए उसपर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में केस चलाया जाए।
5) फ्रांसिस बुकानन ने बोधगया को 1811-12 को भेट दिया था। उन्होंने यहां पर सम्राट अशोक के राजमहल के अवशेष देखे थे उस स्थल को अब तक पुरातत्व विभाग ने क्यों ढूंढा नहीं?
6) भारतीय सर्वेक्षण विभाग महंत ब्राह्मण द्वारा बोधगया के ब्राम्हणीकरण का विरोध न करके संविधानद्रोह का कार्य कर रहा है। अंतराष्ट्रीय धरोहर को वे भी अप्रत्यक्ष रूप से नाश करने के लिए सहयोग दे रहे है। इसलिए पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर जनरल पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया जाए।
7) पटना संग्रहालय में बुद्ध के शरीर अवशेष का धातु कलश रखा हुआ है। वह पवित्र धातु कलश महाबोधि महाविहार में रखा जाए ताकि दुनिया भर के लोगों को उसके दर्शन हो सके।
भारत की बौद्ध विरासत बचाने के लिए सभी बौध्द संस्था संघटनायो और बहुजनों को अपील की जाती है किस आंदोलन को साथ सहयोग करे…
डॉ. विलास खरात
(राष्ट्रिय अध्यक्ष, सनातन धम्म, नई दिल्ली)
