भ्रामक विज्ञापनों को लेकर कंपनी और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया गया है।
अदालत ने कंपनी से यह भी कहा कि वह किसी भी चिकित्सा प्रणाली को बदनाम न करे।
योग गुरु रामदेव की सह-स्वामित्व वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन जारी करने के लिए कंपनी को अवमानना नोटिस जारी किया है। इसने कार्रवाई नहीं करने के लिए केंद्र की खिंचाई भी की है।
सुनवाई के शीर्ष उद्धरण यहां दिए गए हैं:
1 – पतंजलि आयुर्वेद को उसके द्वारा निर्मित और विपणन किए गए उत्पादों (अधिनियम और नियम के तहत एक बीमारी के रूप में निर्दिष्ट) का विज्ञापन या ब्रांडिंग करने से रोका गया है। प्रतिवादी को मीडिया (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों) में चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ किसी भी रूप में कोई भी बयान देने से भी आगाह किया जाता है, जैसा कि उसने पिछली तारीख को किया था।
2 – इस अदालत के आदेश के बाद आप (पतंजलि आयुर्वेद) को यह विज्ञापन देने का साहस हुआ! स्थायी राहत…स्थायी राहत से आप क्या समझते हैं? क्या यह कोई इलाज है? आप यह नहीं कह सकते कि आपकी दवाएँ किसी विशेष बीमारी का इलाज करती हैं।
3 – पतंजलि रक्तचाप, मधुमेह, गठिया, अस्थमा और मोटापे को पूरी तरह ठीक करने का दावा कैसे कर सकता है?
4 – एलोपैथी को जनता की नजरों में इस तरह से अपमानित/बदनाम नहीं किया जा सकता। आप (पतंजलि) एलोपैथी जैसी किसी अन्य उपचार पद्धति की आलोचना नहीं कर सकते।
5 – पूरे देश को चकमा दिया जा रहा है! आप (केंद्र सरकार) दो साल तक इंतजार करते हैं जब अधिनियम कहता है कि यह निषिद्ध है। सरकार आंखें मूंदकर बैठी है.