बोधगया के कालचक्र मैदान में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें गेलुकपा यूनिवर्सिटी से बुद्धिस्ट फिलॉसफी यानी बौद्ध दर्शन से डॉक्टरेट कर रहे हैं. लगभग 400 से ज्यादा लमाओं को दलाई लामा के द्वारा डिग्री प्रदान की गई. अब यह सभी लामा टुल्कु के श्रेणी में आ चुके हैं.
ऐसे मिलती है बौद्ध भिक्षु को डिग्री : बताया जाता है कि छह गेलुकपा विश्वविद्यालय में द्रुपंग, गादेन व सेरा प्रमुख है. आधुनिक समय में यह डिग्री प्राप्त करना काफी कठिन हो गया है. सबसे पहले एक भिक्षु को मठवासी कॉलेज में 17 साल का अध्ययन पूरा करना होगा. फिर उसे 6 साल तक हर साल लिखित और वाद विवाद परीक्षाओं में बैठना पड़ता है. सफलता के बाद डिग्री मिलती है. पहले और दूसरे साल पूरा करने से पहले लामा को पांच डिबेट व नौ लेखन परीक्षा से गुजरना पड़ता है. तीसरे और चौथे साल के लिए पांच लेखन व पांच डिबेट देना पड़ता है. पांचवें और छठे साल के लिए लमाओं को छह बौद्ध दर्शन पर आधारित लंबी डिबेट से गुजरना पड़ता है. फेल करने पर पांचवें व छठे साल के परीक्षा के बाद दूसरा मौका नहीं मिलता. इसके बाद हमेशा के लिए शिक्षा का दरवाजा बंद हो जाता है.
गया के बोधगया में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा 20 जनवरी तक प्रवास पर हैं. इस दौरान कई पूजा और कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. बुधवार को बोधगया के कालचक्र मैदान में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें गेलुकपा यूनिवर्सिटी से बुद्धिस्ट फिलॉसफी यानी बौद्ध दर्शन से डॉक्टरेट कर रहे हैं. लगभग 400 से ज्यादा लमाओं को दलाई लामा के द्वारा डिग्री प्रदान की गई. सभी डिग्री धारकों को उनके प्रमाण पत्र भेंट किए गए. अब यह सभी लामा टुल्कु की श्रेणी में आ चुके हैं.
इसके अलावा तिब्बती गेलुकपा बौद्ध संप्रदाय के 62 बौद्ध लामाओं को गेशे लरहमपा डिग्री प्रदान की गई. बताया जाता है कि गेलुक स्कूल में पारंपरिक तिब्बती मठ प्रणाली के भीतर प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति की उच्चतम डिग्री गेशे हैं. इस पाठ्यक्रम के लिए 6 साल से अधिक के गहन अध्ययन की आवश्यकता होती है. गेलुकपा विश्वविद्यालय में 6 साल के शिक्षा के बाद परीक्षा में सफलता पाने पर लामाओं को शिक्षा की गेशे लरहमपा की पदवी दी जाती है. यह तिब्बती बौद्ध शिक्षा की सर्वोच्च पदवी है. इस समारोह में गेलुकपा द्वारा संचालित 6 गेलुपका मॉनेस्टिक विश्वविद्यालय के छात्रों ने हिस्सा लिया था.