गौतम बुद्ध से जुड़े कई किस्से हैं, जिनमें जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र छिपे हैं। बुद्ध अपने शिष्यों को अलग-अलग घटनाओं की मदद से भी उपदेश दिया करते थे। उनका एक शिष्य ऐसा था जो किसी से ज्यादा कुछ बोलता नहीं था। वह सिर्फ अपने काम पर ध्यान देता, काम पूरा होने के बाद एकांत में चला जाता। वह ध्यान में बैठे रहता था।
बुद्ध के अन्य शिष्य सभी से मिल-जुलकर रहते थे, सिर्फ वही एक शिष्य एकांत में रहना ज्यादा पसंद करता था। अन्य शिष्यों को लगने लगा कि ये तो घमंडी है, इस कारण हमसे बात नहीं करता है।
कुछ शिष्य बुद्ध से एकांत में रहने वाले शिष्य की शिकायतें करने लगे। बुद्ध ने सोचा कि इतने सारे शिष्य हैं, कुछ लोगों का आपस में तालमेल नहीं बन पाता है, इसी वजह से ये शिकायत कर रहे हैं, एक-दूसरे की बुराई कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ शिष्य एकांत में रहने वाले शिष्य की बुराई कर रहे हैं। ऐसा सोचकर बुद्ध शिष्य की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे।
धीरे-धीरे उस शिष्य की बुराई ज्यादा होने लगी। बुद्ध के पास उस शिष्य की शिकायतें और ज्यादा पहुंचने लगी तो बुद्ध ने सोचा कि इस शिष्य से बात करनी होगी, उसके लिए इतनी शिकायतें क्यों आ रही हैं?
एक दिन बुद्ध ने एकांत में रहने वाले शिष्य से पूछा कि तुम ऐसा क्यों करते हो? सभी लोग तुम्हारी शिकायतें कर रहे हैं।
उस शिष्य ने कहा कि तथागत आपने घोषणा कर रखी है कि कुछ दिनों में आप ये संसार छोड़े देंगे तो मैंने ये तय किया है कि जब तक आप यहां हैं, मैं आपसे एकांत और मौन का महत्व समझ लूं। आपके बाद मुझे इन बातों को कोई और कैसे समझाएगा।
शिष्य की बातें सुनकर बुद्ध ने अन्य शिष्यों से कहा कि तुम सभी इस शिष्य की गलत शिकायतें कर रहे हो। तुम लोगों ने इसे जाने बिना इसके बारे अपनी गलत राय बना ली है। तुमने देखा कुछ और समझा कुछ। तुम सभी की आदत है कि दूसरों को गलत तरीके से परखते हो। ध्यान रखें हमें किसी भी व्यक्ति के लिए जल्दबाजी में कोई राय नहीं बनानी चाहिए। किसी व्यक्ति से मिलते समय उसके बारे में पहले से कोई राय न बनाएं। पहले उस व्यक्ति की गतिविधियों को देखें, समझें और फिर किसी नतीजे पर पहुंचना चाहिए।